Gaya Pind Daan – गया में कम खर्च में पिंड दान कैसे करें? गया पिंडदान का खर्चा, महत्व, विधि, तिथियाँ, सही समय

 

Gaya Pind Daan Through Bharat Sevashram Sangha

Pind Daan at Gaya Hindi

 

गया जी पिंड दान की जानकारी

Gaya Pind Daan 2025 – गया तीन ओर से पहाडियों से घिरा हुआ स्थान है यहां पर फाल्‍गु नदी बहुत ज्‍यादा प्रसिद्ध है क्‍योंकि यहॉ देश और विदेश से यात्री आपने पुर्वजो का पिंड दान के लिये आते  है। सर्नातन धर्म से अनुसार यहां मनुष्‍य की आत्‍मा को मुक्ति प्राप्‍त होती है और हिन्‍दुओं के रीतिरिवाज के कारण पीड़ी दर पीड़ा यह परमपरा चली आ रहीं है अपने पूर्वजो की आत्‍मा की शांति के लिये यहा पिंड दान किया जाता है। अब आप लोगों के मन में यह प्रश्‍न होगा यहां पिंड क्‍यों करते होगें यहा जाने के कौन से कौन से मार्ग है एवं यहॉ पर कितना खर्चा आयगा, पिंड दान का क्या महत्व है, पिंडदान की विधि क्या है , पिंडदान कब किया जाता है और सही समय कब है। हम आगे इसकी विस्तार से जानकारी देने वालें इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े।

 

गया कैसे जाएं?

 

How to Reach Gaya For Gaya Pind Daan – गया जाने के लिये तीन मार्ग का ज्‍यादातर उपयोग होता है वह इस प्रकार है।

सड़क मार्ग – भारत के कई महत्वपूर्ण शहर हैं, जो गया जाने के लिये आसान मार्ग है एवं कई बड़े शहरो से सीधे बस मिल जाती है। लेकिन सबसे कम बिहार की राजधानी पटना से मात्र 100 किमी दूरी पर गया स्थित है, इस लिये पटना से गया जाने का सबसे अच्‍छा मार्ग है।

रेल मार्ग – गया जंक्‍शन कई महात्‍वपूर्ण बड़े शहरों से जुडा हुआ। जैसे गया से भोपाल, इंदौर, मुंबई, दिल्ली, कोटा, अहमदाबाद, , जोधपुर, कालका, कानपुर, अमृतसर, मथुरा, देहरादून, रांची, पारसनाथ, नागपुर, बोकारो, वाराणसी, लखनऊ, इलाहाबाद, आगरा, बरेली, जबलपुर, चेन्नई , कोलकाता, कामाख्या गुवाहाटी,  पुणे, पुरी, जमशेदपुर, जम्मू, ग्वालियर, भुवनेश्वर आदि हैं।

हवाई मार्ग – गया मेंअंतर्राष्ट्रीय एरपोर्ट है, जो नई दिल्ली, वाराणसी और कोलकाता से हवाईमार्ग से जुड़ा हुआ है। पटना एयरपोर्ट 124 किमी है जो दूसरे महानगरों शहरो से जुडा हुआ है । यह बिहार का एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हवाई एरपोर्ट है जो विदेश की यात्रा जैसे की नेपाल, भूटान, सिंगापूर आदि से की जा सकती है। नई दिल्ली, वाराणसी एवं कोलकता के लिए सुचारू रूप चालू है।

 

गया में पिंडदान का महत्व

Importance of Pind Daan in Gaya – गया जी में पिंडदान का विशेष महत्व है, हर साल यहां हजारों व लाखों की संख्या में लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिये आते हैं। यहां पिंडदान करने से मनुष्‍य की आत्मा को शांती प्राप्‍त होती है साथ ही साथ उनकी आत्मा को मोक्ष प्राप्‍त होता है। शास्‍त्र ग्रंथों के अनुसार यह माना जाता है कि यहां भगवान विष्णु जल के रूप में स्‍वंय विराजमान हैं एवं ग्रंथ गरुण पुराण में पिंडदान का विशेष महत्व बताया गया है। देश के कई स्थानों पर पिंडदान किया जाता है, लेकिन बिहार के गया में पिंडदान का एक अलग ही महत्व है। ऐसा माना जाता है कि गया धाम में पिंडदान करने से 7 पीढ़ियों का कष्‍ट निवारण हो जाता है। रामचरित्र मानस की कथा की अनुसार भगवान राम ने गया में अपने पिता जी दशरथ का पिंडदान किया था, तभी से यहां तीर्थ स्‍थल के रूप में जाना जाने लगा।

 

गया जी में पिंडदान क्यो करते है?

Why do we perform Pind Daan in Gaya? – हिन्‍दू मान्‍यता के अनुसार पितृ पक्ष के दिनों में यमराज पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं क्‍योंकि 15 से 16  दिनों तक वह अपने-अपने परिजनों के बीच रहकर जल-भोजन का पान करके संतुष्ट हो सके। हमारी देशी भाषा में श्राद्ध शब्‍द का ज्‍यादातर उपयोग होता है। इसी को हम पितृ पक्ष के नाम से जानते है। इसी समय हम पितरों का शुद्ध भाव से पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण करते है। गरूण पुराण के अनुसार मृत्यु के उपरांत पिंडदान करना आत्मा की मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग है। वाल्‍मीकी रामायाण के अनुसार माता सीता जी ने फल्गु नदी के किनारे बैठकर अपने ससुर श्री राजा दशरथ जी का पिंड दान किया था। जिसमें उन्‍होनें बरगद के पेड़ एवं केतकी के फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू अर्थात रेत का पिंड बनाकर पिंडदान फाल्‍गु नदी में किया था। तभी यह प्रथा चली आ रही है। इस लिए सभी भारतीय एवं सनार्तन धर्म को मानने वाले पिंड करते है।

 

गया जी पिंडदान की पौराणिक कथा

The Mythological Story of Gaya Ji Pind daan – गरूण पुराण के अनुसार असुर कुल में गया नाम के एक असुर का जन्‍म हुआ था, लेकिन उसने किसी असुर महिला से जन्म नहीं लिया था, इसलिए उसमें असुरों वाला कोई आचरण नहीं था। ऐसे में गयासुर ने सोचा कि यदि वह कोई बड़ा काम नहीं करेगा तो उसको अपने कुल में सम्मान नहीं मिलेगा। यह सोचकर वह श्री हरि भगवान विष्णु की कठोर तपस्या करने मगन हो गया। कुछ समय बाद गयासुर की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर श्री हरि भगवान विष्णु ने उसे स्‍वंय दर्शन दिया और कठोर तपस्‍या से प्रशन्‍न होकर उसे वरदान मांगने को कहा। उसने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि मेरी इच्छा है कि आप सभी देवी देवताओं के साथ अप्रत्यक्ष रूप से इसी शिला पर विराजमान रहें और यह स्थान मृत्यु के बाद किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के लिए तीर्थस्थल बन जाए। यह सुन गयासुर ने भगवान विष्णु से कहा कि आप मेरे शरीर में साक्षात वास करें। जिससे जो मुझे देखे उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएं, वह जीव पुण्य आत्मा हो जाए तथा उसे स्वर्ग की प्राप्‍ती हो। श्रीहरि ने उसे यह वरदान दे दिया,  इसके बाद उसे जो भी देखता, उसके समस्त कष्टों का निवारण हो जाता और दुख दूर हो जाते।

 

दान और तर्पण का महत्व

इन दिनों में किया गया श्राद्ध व पितृ तर्पण सभी जीव आत्‍मा को संतुष्ट करता है। गरुड़ पुराण अनुसार बताया गया है कि पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध और श्राद्धा के अनुसार दिए गए दान से पितर को संतुष्टी प्रदान करता हैं साथ ही श्राद्ध करने वाले व्‍यक्ति को शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं से रियात मिल जाती है।

 

गया जी में पिंडदान की तिथियां

गया में श्राद्ध कर्म और पिंडदान का विशेष महत्व है। गया जी में हर साल लाखों की संख्या में लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करने आते हैं। गया जी में विधि विधान से पिंडदान करने पर मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। गरुण पुराण में भी गया में पिंडदान का विशेष महत्व बताया गया है। पितृपक्ष के दौरान गया में हर साल लाखों लोग अपने-अपने पितरों का मन में याद करते हैं और उनकी आत्म की शान्‍ती के लिए ईश्‍वर से प्रार्थना करते है एवं तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म करते है। पितरों की आत्म तृप्ति से व्यक्ति पर पितृ दोष नहीं लगता है। उस परिवार की उन्नति होती है और पितरों के आशीर्वाद से वंश की उन्‍नती होती है । इसके साथ आर्थिक समस्‍या से भी छूटकारा मिल जाता है।

 

पितृपक्ष में श्राद्ध करने की तिथियां 2025

Dates of Pind Daan in Gaya

पितृ पक्ष 07 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक समाप्त होंगे।

पितृ पक्ष 2025 श्राद्ध तिथियां 2025 कुतुप मूहूर्त रौहिण मूहूर्त अपराह्न काल
7 सितंबर 2025, रविवार पूर्णिमा श्राद्ध 11:54 AM से 12:44 PM 12:44 PM से 01:34 PM 01:34 PM से 04:05 PM
8 सितंबर 2025, सोमवार प्रतिपदा श्राद्ध 11:53 AM से 12:44 PM 12:44 PM से 01:34 PM 01:34 PM से 04:04 PM
9 सितंबर 2025, मंगलवार द्वितीया श्राद्ध 11:53 AM से 12:43 PM 12:43 PM से 01:33 PM 01:33 PM से 04:03 PM
10 सितंबर 2025, बुधवार तृतीया श्राद्ध 11:53 AM से 12:43 PM 12:43 PM से 01:33 PM 01:33 PM से 04:02 PM
10 सितंबर 2025, बुधवार चतुर्थी श्राद्ध 11:53 AM से 12:43 PM 12:43 PM से 01:33 PM 01:33 PM से 04:02 PM
11 सितंबर 2025, गुरुवार पंचमी श्राद्ध 11:53 AM से 12:42 PM 12:42 PM से 01:32 PM 01:32 PM से 04:02 PM
12 सितंबर 2025, शुक्रवार षष्ठी श्राद्ध 11:53 AM से 12:42 PM 12:42 PM से 01:32 PM 01:32 PM से 04:02 PM
13 सितंबर 2025, शनिवार सप्तमी श्राद्ध 11:52 AM से 12:42 PM 12:42 PM से 01:31 PM 01:31 PM से 04:00 PM
14 सितंबर 2025, रविवार अष्टमी श्राद्ध 11:52 AM से 12:41 PM 12:41 PM से 01:31 PM 01:31 PM से 03:59 PM
15 सितंबर 2025, सोमवार नवमी श्राद्ध 11:51 AM से 12:41 PM 12:41 PM से 01:30 PM 01:30 PM से 03:58 PM
16 सितंबर 2025, मंगलवार दशमी श्राद्ध 11:51 AM से 12:41 PM 12:41 PM से 01:30 PM 01:30 PM से 03:57 PM
17 सितंबर 2025, बुधवार एकादशी श्राद्ध 11:51 AM से 12:41 PM 12:41 PM से 01:30 PM 01:30 PM से 03:56 PM
18 सितंबर 2025, गुरुवार द्वादशी श्राद्ध 11:51 AM से 12:39 PM 12:39 PM से 01:28 PM 01:28 PM से 03:55 PM
19 सितंबर 2025, शुक्रवार त्रयोदशी श्राद्ध 11:51 AM से 12:39 PM 12:39 PM से 01:28 PM 01:28 PM से 03:55 PM
20 सितंबर 2025, शनिवार चतुर्दशी श्राद्ध 11:50 AM से 12:39 PM 12:39 PM से 01:27 PM 01:27 PM से 03:54 PM
21 सितंबर 2025, रविवार सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध 11:51 AM से 12:38 PM 12:38 PM से 01:27 PM 01:27 PM से 03:53 PM

 

गया में पिंडदान कहां होता है?

Pind Daan Place in Gaya?P – गयाजी पहले  लगभग 360 वेदियां थीं पर अब इनमें से 48 ही बची हैं आज के  समय में इन्हीं वेदियों पर लोग पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं. गया में पिंडदान विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी के किनारे और अक्षयवट पर पिंडदान करना आवश्यक माना जाता है। यदि किसी की अकाल मृत्यु हुई है तो उसे प्रेत शिला पर भी पिंडदान करना आवश्यक है। गरुड़ पुराण के अनुसार गया जाने के लिए घर से निकलने पर चलने वाले एक-एक कदम पितरों के स्वर्गारोहण के लिए एक-एक सीढ़ी का निर्माण करते हैं।

 

गया में पिंडदान का खर्च

आइये हम आप सभी को गया इस वर्ष पितृपक्ष 2025 में कितना खर्चा आएगा। इसकी जानकारी विस्तार से बताने वाले आपको इसको जानना अति आवश्यक है।

 

पर्यटन विभाग ने महात्‍वपूर्ण पैकेज लॉन्च किये है जैसे  पुनपुन अंतर्राष्ट्रीय पितृपक्ष मेला

बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने यात्रा पैकेज लॉन्च किए हैं। इस पैकेज के लिए बिहार में इसके आयोजन की शुरूवात करने जा रही है। जो आपको गया में जाने के लिये जानना बहुत आवश्‍यक है। पिंडदान एवं श्राद्ध पुनपुन नदी के किनारे किया जाएगा। अपने पितरो व पूर्वजों की आत्मा की शांति व मुक्ति के लिए पुनपुन और गया पहुंच कर पिंड दान करने वाले लोगों के लिए बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने कई तरह के पैकेजों की शुरुआत की है। इसकी सारी जानकारी BSTDC की आधिकारिक वेबसाईट पर उपलब्ध है। जहां से लोग इसे बुक भी करा सकते हैं।

23,000 रुपये खर्च करने होंगे

पर्यटन विकास निगम स्तर से ई-पिंडदान पैकेज के तहत श्रद्धालुओं को एकमुश्त 23,000 रुपये की राशि खर्च करनी होगी। इस पैकेज में विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट व फल्गु नदी में पिंडदान के लिए पंडित-पुरोहित, पूजन सामग्री की व्यवस्था और दक्षिणा भी शामिल है। पिंडदान होने के बाद पेन ड्राइव में पूरी प्रक्रिया की विडियो रिकार्डिंग दिए गए पते पर भेज दी जाएगी।

11,250 से लेकर 39,500 का पैकेज

इसमें 11,250 से लेकर 39,500 रुपए तक का टूर पैकेज है। इसकी बुकिंग करवा कर पर्यटक पुनपुन, गयाजी, राजगीर और नालंदा का भ्रमण कर सकते हैं।

ई-पिंडदान पैकेज

देश विदेश एवं दूर दराज के लोग जो गया आकर पिंड दान न‍हीं कर पाते है उनके लिए इस बार ई-पिंडदान की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। ई-पिंडदान के लिए लोगों को मात्र इक्‍कैस हजार रूपया मात्र खर्च करने होंगे। जिसमें तीन जगह पिंडदान किया जाएगा, जिसमे पिंडदान पुरी विधि विधान के साथ किया जाएगा और फिर इसका एक वीडियो बनाकर सभी भक्‍तों को डीवीडी एवं पेन ड्राइव में भेजा जाएगा जिसमें सभी व्‍यक्तियों इसका लाभ प्राप्‍त होगा।

 

कम खर्च में गया में पिंड दान कैसे करें?

यदि आप कम खर्च में गयाजी में पिंड दान करना चाहते है तो आपको भारत सेवाश्रम संघ जाना होगा। यहाँ सम्पूर्ण भारत से लोग पिंडदान करवाने आते है। भारत सेवाश्रम संघ, एक धर्मार्थ संगठन है, यहाँ आप बहुत कम खर्च में विधि विधान के अनुसार पिंड दान कर सकते है। यहाँ से आपके आश्रम द्वारा एक पंडित-पुरोहित नियुक्त किया जाता है जो गया के विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट व फल्गु नदी में पिंडदान के लिए पूजन, सामग्री की व्यवस्था और आने जाने की व्यवस्था करता है।

 

भारत सेवाश्रम संघ गया कैसे पहूचें?

बिहार रेलवे स्टेशन के सामने भारत सेवाश्रम संघ गया का एक ऑफिस बना है जो सुबह 4 बजे खुल जाता है अदि आप ट्रेन से आ रहे है तो आप यहाँ आ जाये, इस ऑफिस से आपको कम कीमत पर आश्रम पहुचने के लिए ऑटो उपलब्ध करवाया जायेगा।

 

 

गया भारत सेवाश्रम संघ में रुकने की व्यवस्था

भारत सेवाश्रम संघ गया में बहुत कम कीमत में कमरे उपलब्ध है यदि आप यहाँ से पिंड दान करना चाहते है तो आपको यही रुकना होगा। यहाँ पर  फ्री में खाने के लिए भोजन उपलब्ध है।

 

गया भारत सेवाश्रम संघ में पिंडदान व्यवस्था

यहाँ सबसे पहले आपको सुबह 7 बजे लाइन में लगना होगा, इसके बाद आपको एक टोकन दिया जायेगा। टोकन लेने बाद एक पीला कार्ड बनता है।

 

भारत सेवाश्रम संघ गया में पिंडदान का खर्च

आश्रम द्वारा एक पंडित-पुरोहित नियुक्त किया जाता है  यहाँ आपको 500 से 800 रूपये देना होता है। जिसमे विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट व फल्गु नदी में पिंडदान के लिए पंडित-पुरोहित, पूजन सामग्री और आने जाने की व्यवस्था शामिल है।  जाना होता है। वहाँ से आने के बाद आपको पंडित जी जो इच्छा अनुसार दक्षिणा देना होता है इसके आप पर कोई भी दवाब नहीं दिया जाया है, आप अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा दे सकते है यही यहाँ की विशेषता है।

 

गया में पिंडदान में कितना समय लगता है?

गया में पिंडदान करने में आमतौर पर 3 से 5 घंटे का समय लगता है। इसमें एक स्थान से दूसरे स्थान आना जाना, पूजा की तैयारी, पिंडदान और समापन तक की सभी विधियाँ शामिल होती हैं। विशेष धार्मिक अनुष्ठान या विस्तारित पिंडदान की स्थिति में  समय थोड़ा ज्यादा सकता है।

 

गया में पिंडदान के स्थल

Gaya Pind Daan Places

फल्गु नदी

गया में पिंडदान की शुरुआत फल्गु नदी में स्नान से होती है। पुराणों के अनुसार फल्गु नदी भगवान विष्णु के दाहिने अंगूठे के स्पर्श से होकर गुजरती हैं,  इसी कारण से फल्गु नदी के पानी के केवल स्पर्श से पूर्वजों की मुक्ति की राह खुल जाती हैं। फल्गु नदी को ही “निरंजना” कहते हैं  गौतम बुद्ध फल्गु नदी के तट पर पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति की, इस वजह से फल्गु नदी को “निरंजना” नाम दिया गया।

 

विष्णुपद मंदिर

यह मंदिर गया का सबसे प्रमुख स्थल है जहां पिंडदान की प्रक्रिया पूरी की जाती है। यहां भगवान श्री हरि विष्‍णु जी ने गयासुर नाम असुर का वद्ध करके उसका उद्धार किया। जहां उसको यह बरदान दिया था। जो भी उसकी इस स्‍थल दर्शन करेगा वह वैकुठ धाम को जायेगा। यह तीर्थस्‍थल प्रभु श्री हरि विष्‍णु जी पद कमलों के लिये जाना जाता है।

 

अक्षयवट वृक्ष

अक्षयवट एक अति प्राचीन और पवित्र वटवृक्ष है यह गया पिंडदान का अंतिम स्थान है। यह वृक्ष अक्षय माना जाता है और यहां किए गए पूजन अनुष्ठान कभी नष्ट नहीं होते।

 

प्रेत शिला

गया से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर प्रेतशिला नाम का पर्वत है। यहाँ पर प्रेतशिला नाम की वेदी है जिसकी अकाल मृत्यु हुई है उसके पिंडदान के लिए  प्रेतशिला जाते हैं। यहाँ पिंड दान करने से  अकाल मृत्यु के कारण प्रेतयोनि में भटकते प्राणियों को  मुक्ति मिल जाती है।

 

इसके अतिरिक्त वैतरणी, प्रेतशिला, सीताकुंड, नागकुंड, पांडुशिला, रामशिला, मंगलागौरी, कागबलि आदि भी पिंडदान के लिए प्रमुख है।

 

गया में पण्डे की दक्षिणा

Gaya Pind Daan Cost – विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट, फल्गु नदी और प्रेतशिला में पण्डे बैठे होते है जो अलग अलग राज्य के अनुसार बिभाजित होते है वे आपसे दक्षिणा की मांग करते है जो बहुत ज्यादा होती है पर आपको अपने दान शुरूवात 50 रूपये से करनी है।

 

गया श्राद्ध कब करना चाहिए?

Best Time for Pind Daan in Gaya – गया में श्राद्ध करने का सर्वोत्तम समय पितृपक्ष माना जाता है,  यह भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में आता है। इस दौरान पिंडदान करना पितरों की तृप्ति और मोक्ष के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु की तिथि ज्ञात हो, तो उसी तिथि पर भी गया में श्राद्ध किया जा सकता है।

 

गया श्राद्ध के बाद क्या करें?

गया में श्राद्ध करने बाद घर आकर कुछ धार्मिक और साधारण नियमों का पालन करना चाहिए। इसके बाद आप घर पर हवन या भंडारा के  आयोजन शुभ हैं। इस पूजा-पाठ और मंत्रोच्चारण से से घर के वातावरण शुद्ध हो जाता है। साथ ही सामर्थ्य के अनुसार 5 ब्राह्मणों को भोज करवाने की सलाह दी जाती है।

 

श्राद्ध कब नहीं करना चाहिए?

कुछ परिस्थितियों में श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। यह एक विशेष धार्मिक कार्य है, जिसे चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के समय नहीं किया जाता है। इसके अलावा परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो गई हो या घर में किसी प्रकार का अशुभ कार्य होने पर भी श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए।

 

गयाजी में रूकने व भोजन का उत्तम स्थान

 

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गया में घूमने की जगह

गया पर्यटन एवं तीथस्‍थलों की काफी प्रसिद्ध स्‍थान है जिसमें बोधगया में घूमने की जगह इस प्रकार है योनी, रामशीला, प्रेतिशीला और देव बाराबर की गुफा और पावापुरी आदि इनमें शामिल है। पर्यटन, धार्मिक और वास्तु चित्रकला के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थल है जामा मस्जिद , मंगला गौरी मंदिर और विष्णुकपाद मंदिर स्थित है।

 

Gaya Tourist Places – गया जी में दर्शनीय स्थल, तीर्थ स्‍थल, पिंडदान और गया घूमने की संपूर्ण जानकारी

 

गया में शॉपिंग व खरीदी करने के लिये प्रसिद्ध स्‍थान।

  • एपीआर सिटी सेंटर मॉल जगजीवन रोड राय काशीनाथ मोरे, स्वराजपुरी रोड, गया
  • बॉम्बे बाजार केपी रोड, पुरानी गोदम, दुलहिंगुंज, गया
  • कटारी हिल रोड, एएम कॉलेज के सामने, गया
  • बॉम्बे बाजार जीबी रोड, टी मॉडल स्कूल के पास, दुर्गा बारी
  • सुरेश कॉम्प्लेक्सजीबी रोड, दुर्गा बारी, गया
  • स्मार्ट सिटी सेंटर – गया में सर्वश्रेष्ठ मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स।
  • गया-नवादा रोड लखीबाग मोड़, मानपुर के पास, ब्रिज, गया
  • आम्रपाली मॉलरेलवे कॉलोनी, गया
  • नंदन वस्त्र बाटिका (दिल्ली गया) गया – पंचाननपुर – दाउदनगर रोड, जगदेव नगर, खरखुरा
  • केशरी जनरल स्टोर गोल बगीचा, सिटी गोल्ड शॉप गेनी मार्केट, जीबी रोड
  • भारत नलकूपरमना रोड, ऑप। राज पैलेस, लोहा पट्टी, गया
  • रेक्सकार्ट ऑनलाइन शॉपिंग मुख्यालय अम्बेडकर नगर, पंचायती अखाड़ा,
  • पंकज किरानागया – बोधगया रोड, जयप्रकाश नगर
  • जमाल मार्केट शॉपिंग कॉम्प्लेक्स धमितोला, दुलहिंगुंज
  • सुमन श्रृंगार और उपहार गैलरी ए पी कॉलोनी
  • नेपाली कचौरी गोल बगीचा, गया, बिहार
  • गौरव प्लाजा खरखुरा,
  • मंगलम किराना स्टोर नारायणपुर मैगरा गयाबेनाम रोड, ए पी कॉलोनी
  • महिमा डेयरी टेकरी रोड, गोलपथर ओपी। इंडियन बैंक, गोल बगीचा

 

Gaya Tourist Places – गया जी में दर्शनीय स्थल, तीर्थ स्‍थल, पिंडदान और गया घूमने की संपूर्ण जानकारी

 

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Baba Baidyanath Dham – वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग, शक्ति पीठ / हृदय पीठ के दर्शन और देवघर घूमने की सम्पूर्ण जानकारी

 

 

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