भारत के ह्रदय में सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी घूमने की पूरी जानकारी
Pachmarhi Tourism In Hindi
Pachmarhi Tourist Places In Hindi
पचमढ़ी में घूमने की जगह
पचमढ़ी भारत के ह्रदय मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित एक अतिसुन्दर हिल स्टेशन है। मध्यप्रदेश का एक मात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी सतपुड़ा की खूबसूरत पहाड़ियों के मध्य स्थित होने कारण सतपुड़ा की रानी के नाम से विश्व प्रसिद्ध है। पचमढ़ी के घने वन, बड़े बड़े जलप्रपात, निर्मल स्वच्छ जल के तालाब, औपनिवेशिक शैली की वास्तुकला में निर्मित आकर्षक चर्च को देखने के लिए दुनिया भर के लोग पचमढ़ी घूमने आते है। यहाँ पाण्डवों के पचमढ़ी में आवास करने और गुफाओं में प्राचीन शैलचित्र बने होने के कारण ये गुफाएं पौराणिक और पुरातात्विक महत्व रखती हैं। भगवान शिव के जटा शंकर, गुप्त महादेव, चौरागढ़ और महादेव गुफा में रुकने के कारण इसे भगवान शिव का दूसरा घर भी कहा जाता है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के नवविवाहित लोगों के लिए यह सस्ता, सुन्दर और सुलभ हनीमून डेस्टिनेशन है।
पचमढ़ी कैसे पहुंचे ?
पचमढ़ी केवल सड़क के द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। पिपरिया से पचमढ़ी की दूरी 54 किमी है। पहले आपको पिपरिया आना होगा, फिर पिपरिया से बस या टैक्सी से आप पचमढ़ी जा सकते है। पिपरिया से पचमढ़ी मार्ग में बहुत से घाट और मोड़ है, इसलिए जाने में लगभग 1.5 से 2 घंटे का समय लगता है।
हवाई मार्ग से पचमढ़ी कैसे पहुंचे?
पचमढ़ी हिल स्टेशन से राजा भोज एयरपोर्ट भोपाल 159 किमी और जबलपुर एयरपोर्ट 215 किमी की दूरी पर स्थित है। अगर आपके शहर से भोपाल और जबलपुर के लिए डायरेक्ट फ्लाइट नहीं है तो आपको दिल्ली, रायपुर, हैदराबाद और अमहाबाद सहित अन्य शहरों से भोपाल या जबलपुर की डायरेक्ट फ्लाइट मिल सकती हैं। आप भोपाल और जबलपुर से बस या टैक्सी के जरिये पिपरिया होते हुए आप पचमढ़ी पहुँच सकते है?
रेल मार्ग से पचमढ़ी कैसे पहुंचे?
पिपरिया रेलवे स्टेशन पचमढ़ी का निकटतम रेलवे स्टेशन है। पचमढ़ी हिल स्टेशन के पास होने की वजह से पिपरिया में कई ट्रेने रूकती है। पिपरिया के लिए भोपाल, जबलपुर, कोलकाता, आगरा, ग्वालियर, दिल्ली, अहमदाबाद, वाराणसी, नागपुर के साथ ही कई अन्य शहरों से ट्रेन चलती हैं। अगर आप के शहर से पिपरिया तक सीधी ट्रेन नहीं है तो आप इटारसी जंक्शन के आसानी से ट्रेन से आ सकते हैं। वहाँ से आसानी से पचमढ़ी के लिए डायरेक्ट बस, टैक्सी या पिपरिया के लिए बस, टैक्सी और ट्रेन मिल जाएगी।
सड़क मार्ग से पचमढ़ी कैसे पहुंचे?
भोपाल, जबलपुर, नागपुर, इंदौर और मध्य प्रदेश के पडोसी राज्यों से पचमढ़ी जाने के लिए बहुत सारी AC और नॉन AC बस उपलब्ध हैं। मध्यप्रदेश पर्यटन निगम ने पचमढ़ी के लिए भोपाल-इंदौर से नान स्टॉप एसी बस सेवा शुरू की है।
यह बस इन्दौर से सुबह 07:30 बजे शुरू होकर भोपाल 11:30 बजे पहुंचेगी।
भोपाल से 11:45 बजे रवाना होकर दोपहर 3:30 बजे पचमढ़ी पहुंचेगी।
पचमढ़ी से बस दोपहर 2:30 बजे शुरू होकर शाम 6:30 बजे भोपाल पहुंचेगी।
भोपाल से सांय 6:45 बजे रवाना होकर रात्रि 10:30 बजे इन्दौर पहुंचेगी।
इन्दौर से पचमढ़ी का किराया 580 रुपए ।
भोपाल पचमढ़ी का किराया 280 रुए।
इन्दौर-भोपाल के बीच यात्रा करने वालों को 300 रुपए।
आप www.mptourism.com पर लॉग ऑन कर इस बस की ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है।
भोपाल से पचमढ़ी की दूरी – 152 कि.मी.
जबलपुर से पचमढ़ी की दूरी – 177 कि.मी.
इंदौर से पचमढ़ी की दूरी – 376 कि.मी.
होशंगाबाद से पचमढ़ी की दूरी – 41 कि.मी.
पचमढ़ी जाने का सही समय
पचमढ़ी का मौसम पूरे सालभर अच्छा रहता है। पचमढ़ी जाने के लिए अक्टूबर से जून के महीनों के मध्य जाना सबसे उचित होता है। गर्मियों में यहाँ का मौसम सुहाना होता है और बारिश के मौसम में आप हल्की वर्षा का सामना कर सकते हैं।
पचमढ़ी में कहाँ ठहरें?
पचमढ़ी में ठहरने के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने बहुत उत्तम व्यवस्था की है। मध्य प्रदेश टूरिज्म ने सभी आयु के पर्यटकों के लिए के कई हेरिटेज होटल और गेस्ट हाउस बनाये हैं, जिनमे AC और NON AC रूम मिल सकते है। इसके अलावा यहाँ कई प्रकार के सर्व सुविधा से युक्त प्रायवेट होटल, टूरिस्ट बंगले, होलीडे होम्स और कॉटेज बने है, जिसमे आप अपने बजट के अनुसार रूक सकते है। यहाँ भोजन के मामले में पंजाबी, जैन, गुजराती और मराठी व्यंजन आसानी से उपलब्ध हैं।
Dharamshala in Pachmarhi – पचमढ़ी मध्य प्रदेश में धर्मशाला, गेस्ट हाउस और सस्ती अच्छी होटल
पचमढ़ी के लोकप्रिय स्थलों की जानकारी
पचमढ़ी घूमने के लिए पचमढ़ी बस स्टैंड के पास टैक्सी और गाड़ियाँ मिल जाती है। ये 2 – 3 दिन में पचमढ़ी के मुख्य पॉइंट बहुत अच्छी तरह से घुमा देते है। पचमढ़ी घूमने के लिए हम पचमढ़ी को दो स्थलों में बांट सकते है, एक वे व्यू पॉइंट जिनमे वन क्षेत्र में प्रवेश के लिए टिकट लगता है और दूसरे वे जो निशुल्क है। ये टिकिट हमें बाई सन लाज से मिल जाता है। यह एक म्यूजियम है और MP टूरिज्म का टिकट काउंटर भी है। अब हम पचमढ़ी घूमना शुरू करते है।
विशेष नोट – प्रत्येक बुधवार को टिकिट काउंटर 09AM–11.30AM तक ही खुलता है और सभी व्यू पॉइंट पर 11.30AM के बाद प्रवेश नहीं दिया जाता है। बी फाल और अप्सरा विहार व्यू पॉइंट पर 3.30 PM के बाद प्रवेश नहीं मिलता है।
पांडव गुफा
पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडव वनवास के समय यहाँ आये थे इसलिए ये गुफाएं पांडव गुफा के नाम से जानी जाती है। यहां पर एक बहुत बड़ी चट्टान पर गुफा बनाई गई है। गुफाओं में युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, भीम के अलग अलग कक्ष है, भीम का कक्ष बहुत गहरा कक्ष था और दौपदी का कक्ष बड़ा और हवादार था। पांडव गुफा के पत्थर के स्तंभ में उकेर कर खूबसूरती से डिजाइन बनाई गई है। पांडव गुफा के सामने बहुत खूबसूरत फूलों का उद्यान है, जिससे गुजरते हुए पांडव गुफा तक जाना होता है। उसके लिए चट्टान को तराश कर सीढ़ियां बनाई गई है। गिरने से बचने के लिए सीढ़ियों में रेलिंग लगाई गई है। पुरातत्व विभाग के अनुसार इन गुफाओं का निर्माण बौद्ध भिक्षुओं ने 6 वीं से 10 वीं शताब्दी के मध्य किया था। पांडव गुफा में ऊपर चढ़ने पर पचमढ़ी शहर का पूरा दृश्य दिखता है। पांडव गुफा और उसका गार्डन फोटोग्राफी के लिए एक आकर्षक जगह है।
अप्सरा विहार
अप्सरा विहार पचमढ़ी का एक बहुत आकर्षित झरना है, जो पांडव गुफा से पास स्थित है। 30 फीट ऊंचा यह झरना प्राकृतिक रूप से बहुत ही सुंदर, छोटे और उथले पूल का निर्माण करता है। तैराकी और डाइविंग के लिए अप्सरा विहार का यह पूल एकदम सही है। स्थानीय लोगो के अनुसार जब भारत में ब्रिटिश शासन था, तब ब्रिटिश महिलाएं सफेद वस्त्र पहन कर इस कुंड में स्नान करने आती थी। स्थानीय लोग इनके सफेद वस्त्र और गोरी त्वचा को देखकर इन्हें आकाश से उतरी हुई अप्सरा या परी समझते थे, इसलिए इस झरने का नाम अप्सरा विहार पड़ा।
रजत प्रपात
अप्सरा विहार से मात्र 10 मिनिट की पैदल दूरी स्थित रजत प्रपात पचमढ़ी का सबसे खूबसूरत और सबसे ऊँचा झरना है। 351 फीट ऊंचा यह झरना भारत में 30 वां सबसे ऊंचा झरना माना जाता है। जब सूर्य की किरणें झरने से गिरते पानी पर पड़ती हैं तो यह पानी चांदी की तरह चमकने लगता है, इसलिए यह सिल्वर फॉल्स या रजत प्रपात के नाम से मशहूर है। दूर से देखने पर इसका आकार घोड़े की पूँछ की तरह प्रतीत होता है।
बी फॉल
बी फॉल पचमढ़ी से लगभग 3 किमी की दूरी पर एक सदाबहार खूबसूरत जलप्रपात है। पचमढ़ी में कई झरने है लेकिन यह झरना सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। इस झरने का पानी अधिक ऊंचाई से 35 मीटर गहराई में गिरता है। बी फॉल को जमुना प्रपात वॉटरफॉल भी कहते है। इस झरने में साल भर पानी गिरता रहता हैं। आप बी फॉल में बहुत सारी मस्ती कर सकते हैं, ऊंचाई से गिर रहे झरने के पानी के नीचे आप स्नान करने का अलग ही आनंद हैं। आप यहाँ पहाड़ियों पर चढ़ने उतरने का रोमांच ही अलग हैं। इस झरने में जलक्रीड़ा के रोमांच को प्राप्त करने के लिए प्रदेश से ही नही देश के कई हिस्सो से पर्यटक खिचे चले आते है।
रीछगढ़
रीछगढ़ पचमढ़ी में बी फाल के निकट चारों तरफ बड़ी बड़ी चट्टानों के मध्य बनी विशाल गुफा क्षेत्र का नाम है। यहाँ प्राचीन समय में यहाँ बहुत से रीछ / भालुओं का निवास था। एक 400 मीटर लम्बी सुरंग नुमा गुफा के अन्दर से गुजरना एक अलग अनुभव देता है। गुफा पर करके पर चारों तरफ ऊँची ऊँची चट्टानें और उन विशालकाय चट्टानों के बीच में हम अपने आप को पाते है। इस अद्भुत स्थान पर घूमने का एक अलग ही मजा है।
डचेस फॉल्स
डचेस फॉल्स पचमढ़ी का एक ऐसा खूबसूरत झरना है, जो स्वर्ग सा प्रतीत होता है। यह झरना तीन धाराओं में पानी के तेज वेग के साथ बहता है और तीन अलग अलग झरने बनाता है। डचेस फॉल जाना बहुत मुश्किल होता है। इसी कारण से कई लोग पंचमढ़ी की इस सबसे खूबसूरत झरने तक पहुंच के भी बिना झरने तक जाए ही वापस आ जाते हैं। यह झरना लगभग सौ मीटर की ऊंचाई से गिरते हुए कलकल की सुंदर आवाज़ करता है। डचेस फॉल्स में पानी को ऊँचाई से गिरते हुए देखना व इनकी ठंडी ठंडी बूंदों का अहसास आपको तरोताजा कर देता है। यह झरना कई छोटे छोटे कुण्ड बनाता है। आप इन छोटे कुंडों में आराम से तैर सकते हैं और नहा सकते हैं।
धूपगढ़
धूपगढ़ पंचमढ़ी से लगभग 9 किलोमीटर दूर 1350 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। धूपगढ़ मध्यप्रदेश ही नही अपितु मध्य भारत की सबसे ऊँची चोटी है। सनराइज, सनसेट, ट्रेकिंग, हाइकिंग और एडवेंचर लवर्स के लिए यह एक लोकप्रिय जगह है। धूपगढ़ जाते समय सड़क के दोनों ओर अदभुत आकार के बहुत ही ज्यादा बड़े विशाल पहाड़ों की चोटियां है। ऐसे ही कुदरत के अद्भुद नज़ारे को देखते हुए आप कुछ समय में धूपगढ़ पहुँच जायेंगे। धूपगढ़ का सूर्य उदय और सूर्य अस्त देखने के लिए दूर दूर से देशी विदेशी पर्यटक यहाँ सुबह या शाम को आते हैं। सूर्य नारायण धीरे धीरे पहाड़ों के पीछे जाते हुए छितिज में लीन हो जाते है। कुदरत का यह खूबसूरत दृश्य आपकी शाम को आनंद से भर देता है।
जटा शंकर
शंकर भगवान की जटा अर्थात जटा शंकर पचमढ़ी में एक ऐसा स्थल है, जहाँ भगवान भोलेनाथ भस्मासुर से बचने के लिए आये थे। भगवान भोलेनाथ ने छिपने के लिए अपनी जटाये फैलायी थी। यहाँ स्थित पर्वत की आकृतियों और बड़े बड़े बरगद के पेड़ों की शाखाओं को देख कर मन में यही प्रतीत होता है। नाग देवता शेषनाग के आकार की इन गुफाओं के अंदर एक शिवलिंग है, जो स्वयंभू अर्थात स्वयं प्रकट हुआ है। ऐसा लगता है कि प्रकृति के बहुत ही निकट इस शांत और पवित्र स्थान के कण कण में भगवान भोलेनाथ का निवास है ।
हांडी खोह
हांडी खोह पचमढ़ी की सबसे खूबसूरत घाटियों में से एक है। घने जंगलों से ढका हुई यह घाटी जमीन से 300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पहले एक विशाल झील स्थित थी जिसकी रक्षा एक सर्प राक्षस करता था। भगवान शिव ने राक्षस सर्प से युद्ध करके उसका अंत कर दिया। उसी सर्प राक्षस के श्राप के वजह से ये झील सूख गई। एक हांडी ( बर्तन ) की तरह दिखने के कारण इसका नाम हांडी खोह नाम पड़ गया।
गुप्त महादेव मंदिर
गुप्त महादेव पचमढ़ी में उन स्थलों में से एक है, जहाँ भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव ने कुछ समय बिताया था। गुप्त महादेव मंदिर एक बहुत सकरी गुफा के अन्दर बना है, जिसमे केवल 2 लोग ही आ जा सकते है। गुप्त महादेव मंदिर की गुफा बाहर एक तरफ हनुमान जी की गेरुए रंग की मूर्ति और दूसरी तरफ विशाल त्रिशूल बना हुआ है। गुफा के बहार से लाइन लगी होती है, जो बहुत धीरे धीरे आगे बढती है। इस सकरी और अँधेरी गुफा में अन्दर जाने पर प्राक्रतिक रूप प्रकट हुए शिवलिंग के दर्शन होते है। बाहर आकर आप राहत की साँस लेते है।
चौरागढ़ महादेव मंदिर
चौरागढ़ मंदिर पचमढ़ी के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। समुद्र से लगभग 4200 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर तक पहुचने के लिए लगभग 1325 सीढियाँ चढ़नी पड़ती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भस्मासुर को वरदान देने के बाद भोलेनाथ ने यहाँ निवास किया था। जाते समय भगवान शिव यहाँ अपना त्रिशूल छोड़ गये इसलिए शिव भक्त यहाँ 1 क्विंटल तक के त्रिशूल चढाते है। यहाँ चौरा बाबा ने कई वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की थी, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए, तभी से चौरा बाबा के नाम पर इस पहाड़ की चोटी का नाम चौरागढ़ पड़ गया। घने वनों और गहरी घाटियों से घिरे इस मंदिर को देखने के लिए सुबह का समय सही है। आप सुबह इस मंदिर में दर्शन करने के बाद सूर्योदय का आकर्षक द्रश्य भी देख सकते है।
महादेव गुफा
महादेव गुफा पचमढ़ी की सबसे खूबसूरत और प्राक्रतिक सौन्दर्य से भरा धार्मिक स्थल है। भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए जिन स्थलों में रुके थे उनमे से एक महादेव गुफा भी है। यहाँ भस्मासुर का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धर के नृत्य किया था। भस्मासुर ने उनके (डांस स्टेप को फ़ॉलो करते हुए) साथ नृत्य में लीन होकर नाचते नाचने स्वयं के सिर पर ही हाथ रख दिया और वही भस्म हो गया ।
सडक से कुछ दूर ही पैदल चलते हुए, कई बन्दरों के झुण्ड से बचते बचाते हुए, थोड़ी सीढियां चढ़कर आप पहुचेंगे एक मनमोहक पहाड़ी गुफा में। दर्शन के लिए बायीं तरफ से गुफा में प्रवेश करें, अंदर जाने के बाद गुफा के छत से रिसते पानी की ठंडी बूंदे ह्रदय को शीतलता प्रदान करती है। मन्दिर में भगवान शिव के प्राकृतिक रूप से बने अद्भुद शिवलिंग के दर्शन होंगे। बाहर की तरफ शिवलिंग के शिव के वाहन नन्दी जी के दर्शन करें।
यहाँ से निकट माता पार्वती के दर्शन करने के लिए एक और गुफा में लगभग आधे से भी अधिक झुककर प्रवेश करना होता है। प्राक्रतिक सौन्दर्य से भरी इस गुफा के अन्दर जाने पर माता पार्वती की अलौकिक छबि के दर्शन होंगे।
प्रियदर्शिनी प्वाइंट
सतपुड़ा की पहाड़ियों में सबसे ऊंचा प्रियदर्शिनी प्वाइंट पचमढ़ी से लगभग 5 से 6 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आपको हरियाली से आच्छादित एक गहरी और खूबसूरत घाटी का विहंगम द्रश्य देखने को मिलता हैं। इस प्रियदर्शिनी प्वाइंट से सूर्यास्त का सुन्दर द्रश्य भी दिखाई देता है। इसके अलावा आपको प्रियदर्शिनी प्वाइंट से चैरागढ़ की पहाडी भी दिखाई देती है। बरसात के मौसम गुजर जाने के बाद यहाँ से चारों तरफ के हरे भरे पहाड़ों का दृश्य मन को भा जाता है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान
वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण के लिए 1981 में बना सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान पचमढ़ी में 2133.30 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र पर फैला हुआ है। सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क में कई वने लुप्तप्राय प्रजातियां रहती हैं। यहां कई प्रकार के जानवर जैसे बाघ, तेंदुए, बायसन, सांभर, चीतल, चिंकारा, माऊस डीअर, भौंकने वाले हिरण, भारतीय विशाल गिलहरी, पोर्क्यूपिन, मगरमच्छ, लंगूर, जंगली सूअर, नीलगाय, चौसिंघा, लंगूर, जंगली कुत्ते, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली और भालू देखे जा सकते है। जल में रहने वाले जीवों में मगरमच्छ, घड़ियाल और मछली की कई प्रजातीया यहाँ देखने को मिलती है। यहाँ गिद्ध, इग्रेट, ईगल, बटेर, तीतर, तोता, मैना, बुलबुल, मालाबार और पाईड हॉर्नबिल आदि कई जंगली पाए जाते हैं। आप सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान घूमने में आप जंगल सफारी, नौका विहार और हाथी की सवारी का आनंद ले सकते है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 1 अक्टूबर से 15 जून तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश शुल्क
भारतीय पर्यटक – 250 रूपए
विदेशी पर्यटक – 500 रूपए
जीप सफारी के लिए 3 अलग-अलग पैकेज हैं, जो 2750 रूपये, 3050 रूपये और 6700 रूपये हैं।
जीप सफारी का समय
मॉर्निंग सफारी (सामान्य): 6:30 सुबह से 11:00 सुबह तक
मॉर्निंग सफारी (लंबा): सुबह 6:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक
फुल डे सफारी: सुबह 6:30 बजे से शाम 5 बजे तक
इवनिंग सफारी: दोपहर 3:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक
एलिफेंट सफारी: 7:00 सुबह से 11:00 सुबह तक
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