Trimbakeshwar Jyotirlinga – त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्‍णु, महेश के कैसे करें दर्शन – सम्पूर्ण जानकारी

 

Trimbakeshwar Tourist Places in Hindi

Key Highlights

Trimbakeshwar Jyotirlinga Hindi

 

त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के बारे में

Trimbakeshwar Jyotirlinga In Hindi – त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर में से एक ज्योतिर्लिंग मंदिर है। यह मंदिर महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में पंचवटी से लगभग अठारह मील की दूरी पर गोदावरी नदी कें किनारे स्थित है। अत्यंत प्राचीन त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं। इन तीन शिवलिंग को ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाना जाता हैं। ये शिवलिंग स्वयं प्रकट हुए है, यानी इसे किसी ने स्थापित नहीं किया था। गौतम ऋषि और गोदावरी नदी ने भगवान शिव से यहां निवास करने के लिए प्रार्थना की थी, इसलिए यहां भगवान शिव यहाँ त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करते है।

 

त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग का महत्व

ऐसा कहा जाता है कि हिंदू परंपरा में जो भी व्यक्ति त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मे दर्शन करता है, वह व्‍यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष (मुक्ति) की प्राप्ति होती है। इसका एक कारण यह भी कहा गया है कि यहां भगवान गणेश की जन्मभूमि भी है, जो त्रिसंध्या गायत्री के रूप मे पहचानी जाती है।

 

त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर कैसे पहुंचे ?

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक के पास स्थित त्रयंबक नगर में स्थित  है। त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग जाने से हमें पहले नासिक जाना होता है, इसके बाद नासिक से त्रयंबक नगर जाते है। त्रयंबक नगर नासिक के मुख्य शहर से सिर्फ 32 किमी की दूरी पर स्थित है। आप बस, टैक्सी या कैब के माध्यम से यहां आसानी से त्र्यंबकेश्वर आसानी से पहुंच सकते हैं।  नासिक से त्रयंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा करने में लगभग 45 मिनट का समय लगता है।

हवाई मार्ग द्वारा

त्र्यंबकेश्वर से लगभग 200 किमी दूर महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में इंटरनेशनल एअरपोर्ट स्थित है। त्र्यंबकेश्‍वर में सबसे निकट ओजर एयरपोर्ट स्थित है। यहाँ से मुंबई और पूना के लिए हवाई सेवा उपलब्ध रहती है। लेकिन हवाई कंपनी द्वारा निरंतर सेवा उपलब्ध नहीं होती। जबकि दूसरा निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद में है जो त्रयंबकेश्‍वर  से 220 किलोमीटर की दूर स्थित  है। इसके बाद की यह दूरी भी आपको सड़क से ही पार करना होता है।

रेलवे मार्ग द्वारा

त्र्यंबकेश्‍वर में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। त्र्यंबकेश्‍वर जाने के लिए नासिक तक रेलगाड़ी से जाना होता है। त्र्यंबकेश्‍वर का नजदीकी रेलवे स्टेशन नासिक रोड है। नासिक देश के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।आप मुंबई या भारत के किसी अन्य शहर से नासिक रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं। फिर इसके बाद यहां से टैक्सी लेकर जा सकते हैं। मुंबई जाने वाली सभी ट्रेने नासिक रोड रेलवे स्टेशन से गुजरती है।

देश के किसी भी कोने से रेल द्वारा नासिक तक पहुंचने के लिएआने-जाने की अच्छी सुविधा उपलब्ध है। नासिक रोड रेलवे स्टेशन से त्र्यंबकेश्‍वर तक करीब 31 किलोमीटर की दूरी रहती है।

सड़क मार्ग (बस, टेक्सी) द्वारा

अगर आप सड़क मार्ग से श्री त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जाते हैं, तब ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक शहर से 31 किलोमीटर और 40 किलोमीटर नासिक रोड से जाना होगा। यह मंदिर पुणे से 242 किलोमीटर और 210 किलोमीटर की दूरी पर औरंगाबाद पड़ता है। लेकिन मुंबई से यह 177 किलोमीटर की दूरी पर पड़ेगा।

निजी वाहन – आप निजी वाहन से जा रहे है तो आप नासिक से होते हुए त्र्यंबकेश्‍वर जा सकते हैं और अगर आप किराये के कार से जाना चाहते है। नासिक रोड रेलवे स्टेशन के बाहर से ही कार किराये पर मिल जाती है।
सरकारी बस – नासिक सेंट्रल बस स्टैंड के नजदीक मेला बस स्टैंड है। वहाॅं से त्र्यंबकेश्‍वर के लिए नियमित अंतराल से बसे चलती है।

पूणे और मुंबई से त्र्यंबकेश्‍वर सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप त्र्यंबकेश्‍वर इन शहरों से लक्जरी बसों, राज्य परिवहन की बसों या फिर टैक्सी से जा सकते हैं।

शिरडी से त्र्यंबकेश्वर की दूरी – 124 किलोमीटर

नासिक से त्र्यंबकेश्वर की दूरी – 31 किलोमीटर

नासिक रोड से त्र्यंबकेश्वर की दूरी – 40 किलोमीटर

पुणे से त्र्यंबकेश्वर की दूरी – 242 किलोमीटर

औरंगाबाद से त्र्यंबकेश्वर की दूरी – 210 किलोमीटर

मुंबई से त्र्यंबकेश्वर की दूरी – 177 किलोमीटर

 

त्र्यंबकेश्वर मंदिर का इतिहास

तीसरे पेशवा बालाजी बाजीराव (1740-1760) द्वारा त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का निर्माण एक पुराने मंदिर के स्थान पर कराया गया था। अन्य मराठा राजाओं द्वारा बाद में इसमें और भी सुधार किये गये। इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1755 में शुरू हुआ था और 1786 में 31 साल के लंबे समय के बाद जाकर यह मंदिर पूरा हुआ। यहां 89 कैरेट का हीरा था और जो त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव मंदिर के शिवलिंग को सुशोभित करता था। आज यह हीरा लेबनान के एक निजी संग्रहालय में प्रदर्शित है।

 

त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग में रुकने की जगह

अगर आप त्र्यंबकेश्‍वर में ठहरने की सोच रहे है या रात को ठहरने के लिए कोई अच्छा सा कमरा तलाश रहे हैं, तो यहां आप श्री त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर ट्रस्ट के शिव प्रसाद भक्त  निवास में बहुत कम कीमत पर कमरा ले सकते हैं। बस स्टैंड के पास ही में शिव प्रसाद भक्त निवास त्र्यंबकेश्‍वर स्थित है। यहां आपको एसी कमरा 1,000 रुपए में और नाॅन एसी कमरा 250 रुपए में मिल जाता है।

शिव प्रसाद भक्त निवास में अगर रुकने की व्‍यवस्‍था नहीं हो पाती तो उसके विकल्प के तौर पर श्री त्र्यंबकेश्‍वर शहर में प्रवेश करने से पहले ही श्री गजानन महाराज के भक्त निवास में भी पहुंच कर तलाश कर लेनी चाहिए। क्योंकि यहां आपको कमरा बहुत आसानी से मिल सकता है। श्री गजानन महाराज भक्त निवास में एक एसी कमरा कम से कम 800 रुपए से 2,500 रुपए तक में और नाॅन एसी कमरा आपको 300 रुपए में मिल जाता है।

 

भोजन व्यवस्था

श्री गजानन महाराज के भक्त निवास की कैंटीन में आप सबसे स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले सकते हैं जिससे यह आपकी यात्रा को और यादगार बना सकता है। यहां आप 35 रुपये में भरपेट भोजन कर सकते है। इसके साथ ही यहां आपको अगर बच्चों के लिए दूध और बड़ों के लिए चाय, काॅफी चाहिए तो आपको इसका भी विशेष प्रबंध मिल जाता है।

श्री गजानन महाराज भक्त निवास में स्‍वच्‍छता का ध्‍यान रखा जाता है जिससे यहां की स्वच्छता, सुंदरता और यहां का शांत वातावरण सभी श्रद्धालओं का मन मोह लेती है। इसलिए श्री गजानन महाराज भक्त निवास में अधिकतर यात्री सबसे पहले ही यहीं ठहरना पसंद करते हैं।

अन्य विश्रामालय –

शिव प्रसाद भक्‍त निवास और श्री गजानन महाराज के भक्‍त निवास के अलावा यहॉं अनेकों होटल, धर्मशालाएं भक्‍त निवास और आश्रम बने हुए हैं, जिसमें आपको आपके बजट के हिसाब से कमरा मिल जाता है।

 

त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग की कथा

पौराणिक कहानी के अनुसार, प्राचीन समय में ब्रह्मगिरी पर्वत पर ऋषि गौतम उनकी पत्‍नी देवी अहिल्या के साथ रहते थे। कई और ऋषि पत्नियां भी उनके साथ इसी तपोवन में रहती थीं। एक बार सभी ऋषि पत्नियां किसी बात पर देवी अहिल्या से नाराज हो गईं। देवी अहिल्या और ऋषि गौतम का अपकार करने के लिए सभी ऋषि पत्नियां ने अपने पतियों को प्रेरित किया। अन्य सभी ऋषियों ने भगवान गणेश की कड़ी तपस्या की। सभी ऋषियों की तपस्या से प्रसन्न होकर श्री गणेश ने वर मांगने को कहा। सभी ने मिलकर ऋषि गौतम को तपोवन से निकालने का वर मांगा। ऋषि गौतम को तपोवन से निकालने की बात के लिए गणेश जी तैयार नहीं हो रहे थे, लेकिन गणेश जी को सभी के आग्रह को मानना ही पड़ा। गणेश जी एक दुर्बल गाय का रूप रख कर ऋषि गौतम के खेत में चरने लगे। ऋषि गौतम ने जैसे ही गाय को देखा और उन्‍होने पतली छड़ी से उसे मारकर भगाना चाहा, तो वह गाय वही गिरकर मर गई। तब गौतम ऋषि पर अन्‍य सभी ऋषियों ने  गौहत्या का आरोप लगाया और उन्‍हें तपोवन छोड़कर जाने को कहा। तब गौतम ऋषि को देवी अहिल्या के साथ सभी ऋषियों के कहने पर आश्रम को छोड़ कर जाना पड़ा पर सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि का किसी जगह रहना कठिन बना दिया और सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि से कहा कि इस गो हत्या के पाप से प्रायश्चित हेतु ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी गंगा को लाना होगा। तब गौतम ऋषि ने सभी की बात को मानते हुए शिवलिंग को स्थापित कर उसकी पूजा शुरू कर दी। गौतम ऋषि की भक्ति और कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिवजी और माता पार्वती प्रकट हुए और भगवान शिव ने गौतम ऋषि को उनकी इच्छा अनुसार वरदान मांगने को कहा। तब शिव जी की बात सुनकर ऋषि गौतम ने देवी गंगा को ब्रह्मगिरी पर्वत पर आने का वरदान मांगा। देवी गंगा ने कहा कि मैं यहां तभी रहूंगी, जब शिवजी भी इस स्थान पर रहेंगे, तब गंगा के ऐसा कहने पर वहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप शिवजी वास करने को तैयार हो गए और गौतमी के रूप में वहां गंगा नदी बहने लगी। गौतमी नदी को गोदवरी भी कहा जाता है।

 

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन

जब आप मंदिर के मुख्‍य द्वार पर पहुँच जाएंगे तो द्वार पर लग कर ही टिकट काउन्‍टर बना है, आप यहाँ से 200 रुपये में टिकट लेकर वीआईपी दर्शन आधे घंटे में कर सकते हैं। मंदिर में मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होती है। अगर आप वीआईपी दर्शन न करके फ्री दर्शन करते है तो इसके लिए आपको पूर्वी द्वार से लाइन में लगना होगा। त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्‍तों की बहुत भीड़ होती है और भक्‍तों की लम्‍बी लाइन लगती है, जिससे दर्शन करने में काफी समय लग जाता है। दर्शन के लिए लाइन में लगे रहते हुए आप शिवजी को याद करते हुए ओम नम: शिवाय का जाप करते जाएं। जैसे – जैसे लाइन बढ़ते जाएगी, आप मंदिर के अंदर के हिस्‍से में पहुँचेंगे। आप पहले नंदी मंडप में पहुँचेंगे और यहॉं आप नंंदी भगवान के दर्शन करेंगे। नंदी भगवान के दर्शन करने के बाद मंदिर के मुख्‍य द्वार पर पहुच जाएंगे।  प्रवेश द्वार पहुँचने के बाद आगे चलते हुए 3-4 फीट नीचे गर्भग्रह है। गर्भग्रह के बाहर से ही आपको दर्शन करना होगा।

त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग की अद्भुत बात यह है कि इसमें तीन मुख है और ज्योतिर्लिंग में लिंग नहीं है। पि‍ंंड के मध्‍य में ब्रम्‍हा, विष्‍णु, महेश के नाम के तीन उभार हैं। जिसमें महेश के उभार में से लगातार गंगाजल निकल‍ता रहता है सुबह की पूजा के बाद स्‍वर्ण जड़ित मुकुट लिंग पर रखा जाता है। कहा जाता है कि ये मुकुट पांडवों के समय से ही यहॉं है और इस मुकुट में हीरा पन्‍ना के साथ कई कीमती रत्‍न जड़ित है। शिव ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते समय आप पूरी तरह से ज्योतिर्लिंग की छवि को अपने अंदर बसा ले। जिससे कि जब भी आप उसके बारे में सोचे तो आपको ज्योतिर्लिंग की स्‍पष्‍ट छवि नजर आये।

 

त्र्यम्बकेश्वर दर्शन के नियम

सोमवार शिवरात्री और सावन के महीने में यहॉं दर्शन करने के लिए बहुत ज्‍यादा ही भीड़ होती है तो दर्शन करने में रोज के मुकाबले ज्‍यादा समय लगता है। गर्भग्रह में प्रवेश दिया नही जाता ऊपर से ही दर्शन करने पड़ते हैं।  सिर्फ सुबह 6 से 7 बजे के बीच आप अभिषेक कर सकते हैं और ज्योतिर्लिंग को छू सकते हैं, अभिषेक आदमी धोती पहनकर करते हैं। महिलाओं को गर्भग्रह में जाने नही दिया जाता है। अभिषेक के लिए आपको त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के किसी भी पंडितजी से संपर्क करना होगा।

त्र्यंबकेश्वर, श्राद्ध अनुष्ठान (पूर्वजो की आत्माओं को मुक्ति दिलाने के लिए किया जाने वाला हिंदू अनुष्ठान) करने के लिए सबसे पवित्र स्थान है। यहां पर रुद्राक्ष के कई वृक्ष हैं| जैसे कि भगवान शिव को लघु रुद्र, रुद्र, महा रुद्र, अतिरुद्र पूजा के रूप मे जानी जाती है।

 

त्रयंबकेश्वर मंदिर खुलने का समय

Trimbakeshwar Temple Darshan Timings

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सप्ताह के प्रत्येक दिन खुला होता है।

खुलने का समय प्रातः 5: 00 बजे से सांय 9: 00 बजे तक होता है।

मंदिर में शिव लिंग के सामान्य दर्शन 5 मीटर दूरी से किए जाते हैं यदि कोई विशेष पूजा करना चाहता है।

तो उन्हें गर्भ गृह में जाने की अनुमति होती है तथा वह लिंग को स्पर्श भी कर सकते हैं।

 

त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पूजा और आरती का समय

Trimbakeshwar Temple Arti Timings

मंगल आरती का समय प्रातः 5: 30 से 6: 00 तक का होता है।

अंतरालय अभिषेक ( मंदिर के अंदर) प्रतिदिन प्रातः 6: 00 बजे से प्रातः 7: 00 बजे तक होता है।

अभिषेक (मंदिर के बाहर ) प्रातः 6: 00 बजे से दोपहर 12: 00 बजे तक होता है।

विशेष पूजा जैसे कि रुद्राभिषेक , महामृत्युंजय जप, इत्यादि का समय प्रातः 7: 00 से 9: 00 बजे तक का होता है।

मध्यान्ह पूजा 1: 00 बजे दोपहर से 1: 30 बजे दोपहर तक होती है।

संध्या पूजा 7: 00 बजे से रात्रि 9: 00 बजे तक होती है।

भगवान शिव के स्वर्ण मुकुट के दर्शन 4: 30 बजे से 5: 00 बजे तक होते हैं।

उपरोक्त सभी समय विशेष त्योहारों या विशेष दिवस पर परिवर्तित भी हो सकते हैं।

 

त्र्यंबकेश्वर कालसर्प पूजा

कालसर्प योग दोष पूजा के लिए नासिक में एक मात्र त्र्यंबकेश्वर मंदिर है, जहां यह पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि  कालसर्प दोष का प्रभाव जातक के जीवन में 49 बरसों तक या कभी-कभी यह जीवन भर भी रहता है। कालसर्प योग दोष पूजा में 3 घंटे तक का समय लग जाता है और इसे विशेष तिथि पर कराया जाता है। कालसर्प पूजा में भगवान शिव के महामृत्युंजय त्र्यंबकेश्वर की पूजा की जाती है। कई लोग देश विदेशों से कालसर्प दोष की शांति के लिए पूजा कराने के लिए त्र्यंबकेश्वर मंदिर में आते हैं।

 

त्र्यंबकेश्वर में घूमने की जगह

Trimbakeshwar Tourist Places In Hindi – त्र्यंबकेश्‍वर धार्मिक यात्रा के साथ-साथ आप आसपास के दर्शनीय स्थलों का आनंद लेते हुए त्र्यंबकेश्वर में घूम सकते हैं। त्र्यंबकेश्वर के पास पर्यटन स्थल की जानकारी नीचे दी हुई है।

 

कुशावर्त तीर्थ, त्र्यंबकेश्‍वर

Kushavart Tirtha Trimbakeshwar – कुशावर्त तीर्थ त्र्यंबकेश्वर में घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है। पुराणों के अनुसार कुशावर्त तीर्थ में नहाने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है। त्र्यंबकेश्‍वर ज्योतिर्लिंग दर्शन से पहले यहॉं स्‍नान किया जाता है। कुशावर्त तीर्थ गोदावरी नदी का स्‍त्रोत है। कहा जाता है कि ब्रह्मगिरी पर्वत से गोदावरी बार बार लुप्‍त हो जाती थी। गोदावरी के पलायन को रोकने के लिए गोतम ऋषि ने एक कुशा की मदद से गोदावरी को बंधन में बांध दिया था, उसके बाद से ही इस कुंड में हमेशा पानी रहता है। देश के प्रसिद्ध चार महाकुंभ मेलों मे से एक महा‍कुंंभ मेला प्रत्‍येक बारह वर्ष में यहॉं लगता है। कुंभ स्‍नान के समय सभी शिव अखाड़े यहीं स्‍नान करते हैं। इसी तीर्थस्थल पर गंगा गोदावरी माता का भी मंदिर है।

 

ब्रह्मगिरी पर्वत, त्र्यंबकेश्‍वर

Brahmagiri Parvat Trimbakeshwar – त्र्यंबकेश्वर में खूबसूरत पर्यटन स्थल ब्रह्मगिरी पर्वत है। यहाँ जाने के लिए  1800 फीट ऊँची पहाड़ी पर जाना पड़ता है।  ऊपर जाने के लिए सीढियॉं बनी हैं। ब्रह्मगिरी पर्वत से गोदावरी नदी का उदगम होता है, पर्वत पर  एक शिव मंदिर स्थित है, जिसे जटाशिव कहा जाता है।

 

गंगाद्वार पर्वत, त्र्यंबकेश्‍वर

Gangadwar Parvat Trimbakeshwar – त्र्यंबकेश्‍वर के प्रमुख स्थानों में से एक गंगाद्वार पर्वत है। ब्रम्‍हगिरी पर्वत के उद्गम से गंगाद्वार पर्वत है। गंगाद्वार पर्वत पर गौमुख से गंगा निकलती है। जहां जाने के लिए सीढियां बनी है। गंगाद्वार पर्वत के नजदीक ही गोरक्ष नाथ गुफा है। इस गुफा में गो‍रक्ष नाथजी ने तपस्‍या की थी।

 

नील पर्वत, त्र्यंबकेश्‍वर

Neel Parvat Trimbakeshwar – नील पर्वत त्र्यंबकेश्‍वर के लोकप्रिय स्थलों में से है। नील पर्वत त्र्यंबकेश्‍वर के उत्‍तर में स्थित है। इसके शिखर पर नीलांबिका देवी का मंदिर स्थित है। नीलकंठेश्‍वर महादेव का मंंदिर है। मंटबा देवी का और दत्‍तात्रेय का मंदिर है।

 

श्री गंगा गोदावरी मंदिर, त्र्यंबकेश्‍वर

Shri Ganga Godavari Mandir Trimbakeshwar – त्र्यंबकेश्‍वर में घूमने की सबसे खास जगह में सबसे श्रेष्‍ठ गंगा गोदावरी मंंदिर है। यह मंंदिर कोशावर्त के पास में है। श्री गंगा गोदावरी मंदिर के दर्शन करने के लिए और पवित्र रामकुंड में डुबकी लगाने के हजारों की संंख्‍या में श्रद्धालु पहुंचते है। मंदिर के पुजारी के अनुसार यह नासिक में 12 वर्षों के कुंभ मेला चक्र के दौरान खुलता है और मंदिर के कपाट अगले 12 वर्षों के लिए कुंभ की समाप्ति के साथ ही बंद कर दिए जाते है और मंदिर के कपाट बंद होने से यहां श्रद्धालु मंदिर में बाहर से मंदिर में पूजा करते हैं।

 

श्री सिद्ध हनुमानजी म‍ंंदिर, त्र्यंबकेश्‍वर

Shree Siddh Hanumanji Mandir Trimbakeshwar – श्री सिद्ध हनुमानजी मंंदिर त्र्यंबकेश्‍वर के प्रमुख आकर्षणों का अच्‍छा उदाहरण है। त्र्यंबकेश्‍वर से 9 किलोमीटर दूरी पर नासिक और त्र्यंबकेश्‍वर के मार्ग में श्री सिद्ध हनुमानजी मंंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में श्री हनुमानजी बैठी मुद्रा में मंदिर है।

 

श्री हनुमानजी जन्‍म स्‍थल , त्र्यंबकेश्‍वर

Shri HanumanJi Janam Sthal Trimbakeshwar – त्र्यंबकेश्‍वर का सबसे आकर्षक पर्यटक स्थल श्री हनुमानजी का जन्‍म स्‍थल है। श्री सिद्ध हनुमानजी मंदिर से ही अंंजनेरी पर्वत दिखता है। अंजनेरी पर्वत पर हनुमानजी का जन्‍म स्‍थल है। ऊपर जाने के लिए कठिन रास्‍ता है। जिसमें काफी समय लगता है। पर्वत के ऊपर अंजनी माता और हनुमानजी का मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी की माता अंजनी की बेहद खूबसूरत प्रतिमा है। यहां दर्शन करने पर आपको भक्ति की एक नई अनुभूति होगी।

 

संत निवृत्‍तीनाथ समाधि म‍ंंदिर, त्र्यंबकेश्‍वर

Sant Nivruttinath Samadhi Mandir Trimbakeshwar – त्र्यंबकेश्‍वर का धार्मिक स्थल संत निवृत्‍तीनाथ समाधि म‍ंंदिर भी है। त्र्यंबकेश्‍वर यह मंदिर ब्रम्‍हगिरी पर्वत के रास्‍ते में बना है। यहां संत निवृत्तिनाथ महाराज की समाधि है।

 

श्री स्‍वामी समर्थ गुरुपीठ, त्र्यंबकेश्‍वर

Shri Swami Samarth Gurupeeth Trimbakeshwar – श्री स्‍वामी समर्थ गुरुपीठ त्र्यंबकेश्‍वर के पास घूमने की उत्‍तम जगह है। नासिक और त्र्यंबकेश्‍वर के मार्ग पर श्री स्‍वामी समर्थ गुरुपीठ बना हुआ है। वास्‍तु‍शास्‍त्र के सर्वोच्‍च उदाह‍रणों में से एक यह मं‍दिर है।

 

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